कहते है लोग प्यार दो तरीके के होते है एक टेक्टोनिक दूसरा प्लुतोनिक। दोनों में जमीं-आसमा का अंतर है। न जाने क्यों आज-कल की लड़कियां समझने में असमर्थ है ? नतीजे के तौर पर फांसी का फंदा ही नज़र आता है। जबकि मरने से पहले ये लडकिय किसी को भी फंसने या फ़साने से वंचित कर जाती है अपने सुसाइड नोट में लिखकर । लेकिन इन्हें क्या पता की मरने के बाद इनके परिवार के सदस्य या प्रेमी पुलिस के जाल में कैसे फंसते या फसाए जाते या पुलिस इनके परिवार के लोगो को कैसे सताती है?
प्यार करना जुर्म नहीं ? ऐसा मेरा मानना है किन्तु प्यार में अपने होशो-हबास को इस क़द्र खो नहीं देना जिससे फांसी का फंदा ही गले में डाल ले। मैंने अपने जीवन में कई ऐसे उदाहरण देखे है की लडकिय अंतिम क्षण में खुद को जिम्मेवार समझकर आत्म-हत्या कर लेती । सायद इनका प्रेम के प्रति नजरिया हो , सायद ये समझती हो की प्रेमी बदनाम न हो और मैंने उनके प्रेम के लिए क़ुर्बानी दे डाली। किन्तु यह ढकोसला ही कहलायेगा। आप में जब लड़ने की क्षमता न हो, अच्छे-बुरे का ज्ञान न हो तो प्रेम ही कैसा? प्रेम तो एक तपस्या है, बलिदान है। महाभारत काल में राधा ने भी कृष्ण से प्यार किया जो आज भी अमर है? लोग इनकी पूजा करते। लोग आज राधे-कृष्ण का गुण-गान करते, पूजते , अपने मन-मस्तिक में रखते फिर तुम्हारे प्रेम में ऐसी कौन सी बात आ जाती की तुम आत्म -हत्या या फांसी के फंदे में खुद को डाल लेती ?
मतलब साफ़ है की तुम्हारा प्रेम न तो पाक है न साफ़ ? तुम प्रेम के नहीं वासना के इतनी दीवानी हो जाती की तुम्हे "प्रेम" शब्द का ज्ञान ही नहीं हो पाता ।
आज-कल की लड़कियां अपने माता - पिता से कोसों दूर रहकर अकेली वास करती इन्हें पूरी आजादी होती छूटकर टहलने-घुमने , बात-चित करने का । ये एक ही घर के अन्दर "पी जी" स्टाइल में ज्यादातर रहती , घुमती सैर करती पर इन्हें क्या पाता की ये एक दिन अपने ही गले में अपने ही दुपट्टा से फांसी लगाएंगी।
दोस्तों , माता एवं बहनों खुद को संभलो इज्ज़त तुम्हारा है इस इज्ज़त को तुम्हे ही संभालना है वर्ना कुत्ते तो हज़ार है जो तुम्हे खाने को तैयार बैठे है।
तुम ये गफलत में न रहो की तुम्हे चाहने वाले हज़ार है ? तुम इस फ़िराक में रहो की तुम लूटो ही नहीं । एक बार लुट गई न तो कंही के भी नहीं रहोगी। अंजाम वही है की प्यार में फांसी ..............................................