Friday, July 30, 2010

आत्मबल के धनी व संघर्षशील मिलाप डुग्गर नहीं रहे

आत्मबल के धनी व संघर्षशील मिलापचंद डुग्गर ( मरुभूमि पुत्र ) आज भारत के १.२५ सवा सौ करोड़ आबादी के बीच से स्वर्गवास को चले गए। अपने पीछे धर्मपत्नी, पुत्र, पुत्रवधू और पुत्रिया को छोड़ गए। इश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे ।
मुझे याद है जब डुग्गर जी दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित गोष्ठी " आतंकबाद और भ्रष्टाचार " पर अपना वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने कहा था की भ्रष्टाचार ही आतंकबाद का जननी है इसे शीघ्र रोकने का प्रयास भारत के प्रत्येक नागरिक और शिक्षण संस्थान को करना चाहिए। मैं उनकी बातों को अपने इस ब्लॉग के माध्यम से आगे बढ़ाते हुए भारत के तमाम नागरिक से अपील करता हूँ की वो स्वर्गीय मिलाप डुग्गर जी की आवाज को अपने जीवन के कड़ी में जोड़ कर आतंकबाद और भ्रष्टाचार के खिलाप आन्दोलन छेड़े । यही मिलाप के प्रति हमारी सच्ची श्रधांजलि होगी।

नोट : अधिक जानकारी के लिए www. iaseuniversity.org.in पढ़े ।

Thursday, July 22, 2010

और यूँ बन गए मुरली हीरो ...

आज २२.०७.२०१० दोपहर उपरांत भारत - श्री लंका का क्रिकेट मैच किसी चैनल पर मैं देख रहा था हलाकि मैच देखने के ख्याल से नहीं देख रहा था इसी कड़ी में मै समाचार भी देख रहा था। समाचार से ज्ञात हुआ की श्री लंका के मुरली का ८०० सौ वां विकेट का इंतज़ार है। मैं कई बार मैच के चैनल को खोल-खोल कर देख रहा था पर मुरली का ८०० सौ वां विकेट मिल ही नहीं रहा था दर्शक दीर्घा में बैठे लोग को भी मैं देख रहा था उनकी आँखे भी उतनी ही उत्सुकता से मुरली पर टिकी थी जीतनी पूरी दुनिया की।
भारत का नौवां विकेट रन आउट हुआ मुरली ने ताली बजाई अपने टीम के लिए। मुरली के चेहरे पर मुस्कान भी दिखी पर लोगो की ओरजब कैमरा गया तो लोगो में मुरली के लिए एक अलग जगह बना राखी थी इसलिए ख़ुशी तो थी पर एक कशिश जरूर थी की मुरली को एक और विकेट मिले जो ८०० सौ वां था। ओवर पर ओवर होता रहा पर मुरली जस का तस नज़र आते रहे। हाँ उनके परिवार के लोगो में एक ओर चहरे पर उदास तो दूसरी एक झलक मुरली को बेताज बादशाह बनने की जरूर थी पर ये हो नहीं रहा था। दर्शक दीर्घा में बैठे तमाम दर्शक चाहे वो बूढ़े हो या बच्चे सब-के सब मुरली के लिए एक तरह से प्रार्थना ही कर रहे थे।
मैंने सोंचा की मुरली ने तो ७९९ का एक स्कोर यानि विकेट पा ही लिया है जो सायद याद करने योग्य है। मै रह-रह कर चैनल बदल लिया करता था सिर्फ इसलिए नहीं की मेरी धरकन तेज हो रही थी या मैं ब्याकुल था मुरली के ८०० विकेट पाने के लिए। मैं तो सिर्फ खेल भावना से क्रिकेट चैनल को देख रहा था। मैं भारत के १.५ करोड़ जनता की तरह पागल नहीं हूँ की अपना सारा काम-काज छोड़ क्रिकेट मैच देखू। हाँ भारत का रहने वाला हूँ भारत का गुण-गान गाता हूँ। आज पता नहीं मुरली जैसे गेंदबाज़ को देख मुझे लगा की इनके ८०० वां विकेट के लिए न जाने कितने लोग आँख गराए बैठे है सायद उनके मन में खेल की भावना हो। न की पागलपन। जैसा की भारत के लोग पागल है किसी एक - दो नाम के पीछे ।
अन्तः मैंने जब चैनल बदला तो मुरली ही गेंद फेंक रहे थे मैंने कहा "जय बाबा गरीब नवाज़ " ओर मुरली को विक्केट मिल गया । सायद मेरे साथ ऐसे करोडो लोग होंगे जो खेल की भावना से मुरली को दुआ दे रहे होंगे। मुरली के ८०० वां विकेट लेने में करोडो लोगों की दुआ काम आई जो खेल भावना से जुडी थी।

Saturday, July 17, 2010

बिहार विधान सभा चुनाव नजदीक

बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर बिहार ही नहीं अपितु पुरे देश की जनता का नज़र बिहार पर है। एक ओर लालू एवं पासवान बिहार में डेरा डाले हुए है तो वंही कांग्रेस भी इस आस में है कैसे बिहार में सेंध मारा जाये? बिहार में जातीय आधार को नाकारा नहीं जा सकता । बिहार का चुनाव जातीय आधार पर अब तक अवस्य होता आया है और ऐसा लगता है ये जातीय परम्परा सायद बिहार से कभी ख़त्म भी नहीं होगा ।
वर्तमान मुख्यमंत्री नितीश जी जात से कुर्मी है तो कुर्मी वोटको वो बटोरने में सफल है साथ -साथ तात्मा, नोनिया, कोयरी, मलाह आदि जात पर पाकर बना सकते वंही सवर्ण में भूमिहार , ब्रह्मण और कायस्थ का वोट भी बटोरने में सक्षम हो सकते ।
दूसरी ओर लालू जी अपने यादव वोट को चमोट कर पकडे हुए है। इनके साथ पासवान जी भी अपने पासवान वोट को टस-से-मसनहीं होने देंगे। और इन दोनों समीकरण के साथ सवर्ण वोट में राजपूत का वोट भी इन्ही के साथ होगा। राजपूत वोट का बिछुरने का एक मात्र कारण है नितीश का भूमिहार वर्ग को तरजीह देना। अब अकेले नरेन्द्र सिंह और आनंद मोहन राजपूत का वोट नितीश को नहीं दिला सकते । नरेन्द्र सिंह की छवि अपने बेटे के आत्म हत्या के बाद बिगड़ी तो आनंद मोहन की छवि एक क्रिमनल के तौड़ पर जाना जाता है।
कांग्रेस बिहार में सेंध का प्रयास कर रही लेकिन कांग्रेस के जो असली वोट बैंक है वो ब्रह्मण और भूमिहार। ये दोनों अभी नितीश के साथ चिपके हुए है। ऐसे में कांग्रेस को एक मात्र सहारा है मुस्लिम वोट का। माने तो मुस्लिम वोट तो सबको चाहिए । मुस्लिम भी इस बार दुबिधा में है । इसलिए मेरा मानना है की मुस्लिम वोट इस बार बतेगी ऐसे में नितीश का क्या होगा यह कहना बड़ा मुश्किल लग रहा है। भा जा पा का वोट बैंक है कायस्थ और वैश्य। कायस्थ तो मीठी जात है इसे जो चाहे भुना ले लेकिन वैश्य तो बनिया है इसे जब तक नफा-नुकसान का समझ नहीं आएगा तब-तक इधर-उधर डोलता रहेगा। ऐसे में हमें लगता है नितीश अलग-थलग पद जायेंगे और कोई तीसरा बाज़ी मार ले जायेगा ।

Friday, July 16, 2010

बौखलाए नितीश

बिहार विधान सभा का चुनाव आते ही नितीश कुमार बौखला गए । तस्लीमुद्दीन तो आनंद मोहन सभी अपराधी तबके के लोग को अपने दल में शामील करने में लगे है। उधर प्रमुख विरोधी दल लालू प्रसाद यवमराम विलास पासवान नितीश का बौख्लापन का मज़ा ले रहे है। नितीश इस तरह भी बौखलाए की राजपूत वोट भी इनसे बिछुरने लगी । नितीश का बौख्लापन उस समय भी दिखा जब इन्होने भा जा पा के तमाम राष्ट्रीय नेता का भोज ही काट दिया ।
नितीश अब जो कुछ भी कर रहे वह बौखलाहट का सन्देश दे रही । स्वर्गीय दिग्विजय सिंह के मृत्यु पर भी इन्होने राजनीत करने से बाज नहीं आया। इनके विरोधी तो यंहा तक कह दिया की नितीश अहंकारी हो गए ।
नितीश कुमार के लिए अब बिहार विधान सभा का चुनाव आसान नहीं । चाणक्य कहे जाने वाले नितीश कुमार अब बहुत पीछे चले गए । कहा जाता है की जब-जब घमंड का रूप धारण करता है कई रावन का नाश होते जाता है । शायद अब नितीश कुमार इसी चिंता में है । हलाकि बिहार की बुध्धिजीवी जनता आज भी नितीश को चाह रही इसमे भूमिहार, कायस्थ यवम ब्रह्मण वर्ग है। हलाकि भूमिहार, कायस्थ और ब्रह्मण का वोट भी इन्हें प्रचुर मात्रामें मिलनेवाला नहीं है।
नितीश सही में बौखलाए हुए हैं सायद इस बार नितीश की पाली नहीं बिहार की जनता नकार भी सकती है इन्हें ??????