Thursday, September 16, 2010

विकास का यही तो फ़ायदा है

जी हाँ एनडीटीवी के रविश जी यह विश्वास करते है की "बिना रोक-टोक के उड़ाने भरना ही विकाश का सही मतलब है। उन्होंने इस बात को "ब्लॉग वार्ता : ब्लोगर मन बिहार भयो " में लिखा है।

Sunday, September 12, 2010

भारत की आम जनता अगर बन्दूक उठा ले तो कोई गुनाह नहीं

कांग्रेस की सरकार और उसकी कैबिनेट ने यह फैसला ले लिया की डिवोर्स के नियम - कानून में बदलाव जरूरी। तो इस सत्र में कांग्रेस ने इस अधिनियम को क्यों नहीं राज्यसभा से पारित कराकर लोकसभा बहस का मुद्दा उठाया। सुप्रीमकोर्ट ने बार-बार सरकार को ललकारा है इस मुद्दे पर किन्तु सरकार अभी भी मत्सुन्न्य आखिर क्यों ? क्या सोनिया की सरकार जनता को ठगने के लिए कैबिनेट से इस प्रस्ताव को पास कराया ?
क्या जात के आधार पर जनगणना अत्याधीक प्रिये था इन नेताओ के लिए या भारत के सैंकड़ों लोग जो इस इस कानूनी प्रक्रिया से झूझ रहे वर्षों से? कोर्ट का चक्कर लगाते- लगाते लोग थक चुके है उनकी उम्र बीततीचली जा रही, सैंकड़ों महिलाए माँ बननेसे वंचित हो रही तो वंही पुरूष भी बाप बनने से वंचित हो रहा है सिर्फ इसलिए की कानूनी दांव-पेंच बड़ा कठिन है ?
मुझे यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं की अगर ऐसे लोग सरे -आम बन्दूक उठा कर नेताओं को भुनाने का काम करे तो कोई गुनाह नहीं होगा। सरकार और विपक्ष इस मुद्दे पर शीघ्र ध्यान दे अन्यथा अंजाम बुरा होगा।

Saturday, September 4, 2010

मिले सुर हमारा-तुम्हारा...............

मिस्टर नितीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार आज बिहार के सिपाहियों के जान-माल की रक्षा करने में असमर्थ दिखाई दे रहे है। शायद उन्हें यह पता नहीं था की एक दिन ऐसा भी आयेगा। बिहार में बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी, अत्याचार , नक्सलबाद जैसे समस्याओं को लेकर मीडिया में न आना ही ऐसे परिणामों को दर्शाती है। आज बिहार में भुखमरी, अत्याचार, लूट-खसोट दिन-दहारे हो रहा पर मीडिया खामोश !
नितीश कुमार ने ५ वर्षों में अगर कोई काम किया है तो वह है "बिहार की मीडिया को अपंग" बनाना। विज्ञापन के नाम पर सबको धमकाया-हर्काया यंहा तक की मीडिया के मालिकों को भी अपने इशारों पर नचाया भला पैसा भी क्या चीज़ है।
मीडिया मालिकों और संपादक भी अपने सहकर्मियों को सीधा-सीधा निर्देश दिया की नितीश चालीसा ही लिखो। भुखमरी, अत्याचार, लूट-खसोट, भ्रष्टाचार और नक्सल जैसे ज्वलंत समस्या दबती चली गई और अन्तः इसका परिणाम लूकस टेटे की मौत । दूसरी ओर अभय यादव की पत्नी का बयान "अगर नितीश ने सुहाग नहीं बचाया तो कर लेंगे आत्महत्या" । अभी तीन बंधक की जान खतरे में है। समय बीतता जा रहा और मौत करीब आते जा रही है। ऐसे में बिहार वासियों के और बिहार के मीडिया के लिए नितीश चालीसा पढना यही दर्शाता है की -मिले सुर हमारा-तुम्हारा और जेब भरे तुम्हारा और हमारा।