Thursday, January 6, 2011

पूर्णिया की रूपम बनी दुर्गा की अवतार

दिल्ली की जनता असंबैधानिक रूप से पूर्णिया के रूपम को देवी दुर्गा का अवतार कहने से कतरा नहीं रहे। कारण पूछने पर की हत्यारण को दुर्गा का अवतार क्यों कहा जाने लगा तो जवाब था - जब प्रशासन असहाय हो, न्यायिक व्यवस्था में असंतोष हो, विधायिका व्यवस्था अपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो और मीडिया अँधा व विकाव बन जाये तो वंहा रूपम का जन्म लेना ही दुर्गा का अवतार है।
मतलब साफ़ है की दिल्ली की जनता इसे एक अपराध के रूप में नहीं ले रही इसके मूल वजह जनता भी अपने को असुरक्षित महसूस करने लगी है। दिल्ली के अख़बार ने तो ६ कोलुम का न्यूज़ बनाया की " दर्जनों विधायकों की जान पर मंडरा रहा खतरा" बॉक्स में "विधायकों की बढाई गई सुरक्षा" । अगर मीडिया का यही रुख होगा तो जनता कंहा सुरक्षित ? आज भारत का प्रत्येक नागरिक चाहे वह महिला हो या पुरूष सभी असुरक्षित है । इनकी सुरक्षा कौन देगा।
सुरक्षा को लेकर वाद-विबाद होता आया है इसी क्रम में बिहार की भूतपूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने एक तात्कालिक पुरूष विधायक/संसद को खुले शब्दों में तात्कालिक व वर्तमान मुख्यमंत्री का "साला" कहा था। क्या राबड़ी की ये आवाज महिलाओं को जागरूक करने के लिए था या विधायक व सांसदों के लिए अलार्म ।
बिहार सरकार की विफलताओं पर यह हत्या प्रश्नवाचक है? इसकी जांच सीधे-सीधे सी बी आई से करानी चाहिए।
अक्सर देखा गया है की मुख्यमंत्री जांच का आदेश दे देते और परिणाम नदारत। बिहार में ही एक मंत्री के घर उसके बेटे-पतोह को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दे डाले थे पर आज तक उस हत्या का राज जनता के समक्ष नहीं आ सका। विधायकों और सांसदों के चाल-चरित्र पर भी मीडिया को नज़र रखनी पड़ेगी तभी पारदर्शी मीडिया हो पायेगी। बिहार के अन्दर कई ऐसे ऍम एल सी बने है जो हाई प्रोफाइल को कई तरह के उपहार भेंट करते आये है। लोगो को इन हाई प्रोफाइल वाले नेता के आगे-पीछे घुमने वाले आदमियों पर भी मीडिया को पैनी नज़र डालने की जरूरत है और जाँच अधिकारी को भी तभी सामने कुछ तथ्य सामने आ पायेगा वरना आरूषी हत्या कांड की तरह जांच फाइल में सिमट कर रह जाएगी।

Sunday, January 2, 2011

मंगलकामनाएं

आप सभी ब्लॉगर को नव वर्ष २०११ की शुभ मंगलकामनाएं ।