Sunday, July 26, 2009

आयोग महिलाओं के प्रति उदासीन

महिला आयोग की अध्यक्ष महोदया महिलाओं के प्रति उदासीन ही अब तक दिखी है। चुकी अब तक न तो वो भारतीये महिलाओं को भारतीये सभ्यता का पाठ पढ़ा पाई है और न तो उनके प्रति जागरूक ।

मैं व्यक्तिगत तौर पर उनसे यह पूछना चाहता हूँ की वो इस पद पर अस्थापित होने के लिए कितने सीढियों को पार की है। उनकी योगता यानि शैक्षणिक योग्य क्या रही है? क्या वो आ इ एस रही है या राजनैतिक योग्यता के बल पर महिला आयोग की अध्यक्ष बनी है? मेरे समझ से यह पद राजनैतिक पद है और ६ साल के लिए नियुक्त किए जाते है। श्रीमती व्यास यह बतलाये की उन्होंने अब तक महिलाओं के लिए क्या किया है?

आज बिहार में किसी महिला के साथ किसी युवक ने शर्मनाक तरीके से पेश आकर मीडिया में बात आई तो व्यास जी ने त्वरित टाईम्स ऑफ़ इंडिया में यह बयां दे डाली की _ "शे वास शोक्केड़ तो शे टीवी फुटेज ऑफ़ थे इंसिडेंट अद्दिंग नोट ओनली इट्स पेर्पेत्रतोर्स बुत अल्सो थे स्पेक्टातोर्स ओउघ्त तो बे पुनिशेद" । मैं उनसे पूछता हूँ की उन्होंने भी तो यह दृश टीवी पर देखा ।

मैं व्यास जी से कहना चाहता की जब समाज के अंदर ही दूरितियाँ पैदा हो गई है तो सरकार या आम आवाम क्या करेगी। आज समाज के अंदर महिलाएं जिस तरह का पोशाक पहन कर सड़कों पर आ रही है उससे लगता है महिलाये ख़ुद पुरुष वर्ग को न्योता दे रही है की आओ मेरे पास । बाद में यही महिला भारतीये कानून का मज़ाक बनाकर पुरुष वर्ग को कारागार तक पहुचाने में सफल हो जाती । वाह क्या बात है महिलाओं का और महिला आयोग का।