Wednesday, December 21, 2011

अन्ना बनाम सांसद

लोकपाल बिल को लेकर अन्ना एवं अन्ना की टीम को सबसे पहले ये समझना होगा भारतीय संविधान में इन सांसदों की ताकत क्या है? और इससे पहले यह भी समझना होगा की ये किनके द्वारा चुनाव जीतकर संसद के अन्दर प्रवेश करते? अगर ये सांसद भ्रष्ट है तो इन्हें कौन चुनकर भेजता? जब ये वाकई भ्रष्ट है तो फिर अन्ना या उनके टीम या भारतीय जनता कैसे यह उम्मीद पालें हुए है की सरकार (यानि सांसद) अपना हाथ काटकर एक स्वत्रन्त्र लोकपाल को दे दे.
अन्ना अनशन पर बैठें या जेल भरो आन्दोलन लाये इनसे ज्यादा लाभ नहीं मिलने को है. अगर अन्ना या भारतीय जनता सही में देश से या इन भ्रष्ट सांसदों / नेताओं को सांसद भवन से बाहर फेंकना होगा और ये तभी होगा जब भारत की जनता अपने-अपने मतों/वोट को दलगत आधार/पार्टी आधार से हटकर प्रयोग करें. इसके लिए टीम अन्ना के साथ-साथ भारत के उन तमाम लोगों को भारत के गाँव-गाँव में जाकर "भ्रष्ट नेताओं"के खिलाफ अलख जगाना पड़ेगा. मुझे याद है जब जोर्जे फ़र्नान्डिस मुजफ्फरपुर (बिहार) संसदिये क्षेत्र से लोक सभा का चुनाव लड़ रहे थे तो वंहा की जनता इनसे नाखुस थी इस बात को जोर्जे फ़र्नान्डिस भी समझ चुके थे उन्होंने एक मंच से अपने भाषण में कहा- "आप मुझे जिताए या ना जितायें मेरे लिए सांसद का मार्ग और भी है इसलिए आप ये ना समझे की आप सांसद का मार्ग बंद कर देंगें". बात भी सही है इनके लिए कई मार्ग है जैसे राज्य सभा का मार्ग, स्पीकर का मार्ग, कई तरह के बोर्ड में चयन आदि-आदि .
भारतीय जनता को इन भ्रष्ट नेताओं का मार्ग अगर ध्वस्त करना है तो लोगो पार्टी स्तर से हटकर एक स्वतंत्र विचार वाले लोगों का चयन कर उन्हें चुनाव में अपने-अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ाना होगा और जित भी सुनिश्चित करनी होगी तभी इन भ्रष्ट नेताओ का कई तरह के मार्ग ख़त्म हो सकेंगे. यह काम सिर्फ अन्ना का नहीं होगा बल्कि समुच्य भारत वासियों का होगा. ठीक है अन्ना इस कार्य को लीड कर रहे है तो उन्हें करने दे पर आम लोगो को भी अन्ना के इस "भ्रष्टाचार ख़त्म करो" आन्दोलन के पीछे भाग लेना होगा. और यह कार्य इतना आसन भी नहीं पर उतना कठिन भी नहीं इसके लिए वैसा ही जोश-खरोस चाहिए जिस तरीके से अंग्रेजों के विरूद्ध आज़ादी की लड़ाई लड़ी गई थी. .