Friday, May 8, 2009

फर्नांडिस साहब लोक सभा ०९ का चुनाव जीतते-जीतते हारे

फ़र्नान्डिस साहब लोक सभा चुनाव मुजफ्फरपुर से हार रहे है यह लिखना बिल्कुल ही ग़लत है । पर आप सभी को चुनाव परिणाम पूर्व बताना भी मेरा धर्म है क्योंकि मैं अभी बिहार भ्रमण कर दिल्ली लौटा हूँ।

फर्नांडिस साहब भारत ही नही अपितु सम्पूर्ण विश्व में अपनी पहचान को बनाये रखने में उनकी योग्यता, , हठता , कर्मण्यता, दूरदर्शिता, पारदर्शिता आदि शामिल रही है। फर्नांडिस साहब चुनाव जीतते-जीतते हार गए। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ की इनके चुनाव का कमान कुछ असामाजिक तत्वों के साथ जुड़ी हुई थी। इनके सिपह-सलाहकार कुछ ऐसे थे जो पैसा कमाने में लगे थे इन्हे मुजफ्फरपुर लोक सभा का परिसीमन तक मालूम नही था। कार्यकर्ता में उत्साह, उमंग जरूर देखने को मिला पर पर चुनावी योजना को सकारात्मक रूप देने में ये लोग सफल नही हो सके।

फर्नांडिस साहब के विरूध्ह कैप जय नारायण निषाद, विनीता विजय, भगवान लाल सहनी ही मैंदान में थे और इन्सबो में इनकी उम्मीदवारी एक दमदार के रूप में थी, किंतु इनके एजेंट लोग सिर्फ़ पैसा को अपने-अपने हितों में बटोरने में लगे रहे। चुनाव के एक दिन पूर्व ही फर्नांडिस साहब अपना प्रेस कांफ्रेस कर दिल्ली लौट आए।

चुनाव कमान को संभालने वालों में से गाँधी संसथान के सुरेन्द्र ओझा, शिव कुमार यवम प्रवीन जाडेजा आदि शामिल थे।

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