Sunday, May 10, 2009

जोड़ - तोड़ की राजनीत में प्रणव मुख़र्जी प्रधानमंत्री

१६ मई २००९ से लोक सभा के परिणाम आने शुरू हो जायेंगे। इस बीच जोड़-तोड़ की राजनीत शुरू हो चुकी है। प्रधानमंत्री के दौड़ में कई नाम शामिल है। लेकिन जोड़दार शब्दों में मनमोहन सिंह , राहुल गाँधी और लाल कृष्ण अडवाणी का नाम सामने आ चुका है।

चुनावी हल्ला- बोल संस्कृति में भारत की जनता ने जिस तरह से अपने-अपने वोटों का प्रयोग किया है उसमें किसी भी राष्ट्रिये या क्षेत्रिये पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने के असार नही है ऐसे में स्वाभाविक है की राजनेता-गन खरीद-परोख के बाज़ार के तरफ़ जायेंगे। अब देखना है की ऊंट किस तरफ़ करवट लेती है?

भारत की जनता ने पी ऍम वेटिंग लाल कृष्ण अडवाणी को भी पूर्ण बहुमत देने से बंचित रखा है और मनमोहन सिंह को भी। अब पार्टी लेबल पर देखा जाए तो जनता का रुझान बीजेपी के अपेक्षा कांग्रेस की ओर ज्यादा रही है जैसा की बिभिन्न न्यूज़ एजेंसियों के आंकडे अब तक बता रहे है।

इन तमाम इस्तिथि -परिस्तिथि , जोड़-तोड़, खरीद-परोख की राजनीत में मुझे ऐसा लगता है की प्रणव मुख़र्जी ही सही और प्रबल दावेदार हैं। भारत की जनता १९८४ में इनके प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने लगी थी किंतु ज्ञानी जैल सिंह जी ने गाँधी परिवार से तत्कालीन राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री पद पर बैठा दिया था। अब सोनिया जी की पाली है की वो किसे प्रधानमंत्री चुनंती हैं?

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