भारतीय मीडिया अपना स्वरुप बदले नहीं तो जनता जूता बरसायेगी
आम तौर पर देखा गया है भारतीय मीडिया पुराने ढर्रे पर चल रही है। लोग बदले, लोगों की सोंच बदली, सरकार बदली, मौसम बदला, पर भारतीय मीडिया का विचार नहीं बदला? आखिर क्यों? ये प्रिंट मीडिया या इलेक्ट्रोनिक मीडिया का मिजाज क्या किसी पार्टी/दल के भ्रष्टाचार से कम है?
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