Saturday, January 3, 2009

जरूरत है - सुरक्षा में नई सोंच और नए तरकीब की

भारत में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आज भी प्रश्न चिह्न लगा हुआ है आख़िर क्यों? हमारे सुरक्षा व्यवस्था में ऐसी क्या कमी है जिससे आतंकवादी या घुसपैठी सीमा रेखा को तड़प या फान कर हमारी आंतरिक व्यवस्था को धत्ता कर तहस-नहस कर देती है
सुरक्षा व्यवस्था को लेकर हम अक्सर चर्चा-परिचर्चा करते रहे है और कभी-कभी तो बेवाक होकर गोली मारने की बात तो कभी नेताओं पर गरजने की आवाज आम बात हो गई हैबड़े-बड़े सुर्माभुपाली लोग टी भी , मगज़ीन, अखवार, यवम अन्य माध्यमों से बहस-पर-बहस करते आए हैमगर नतीजे के तौर पर देखे तो "धाक के पात" ही चारों ओर नजर आते हैं
मैं अक्सर देखा हूँ की जब-जब आतंकवादियों ने आतंक फैलाया है और जिन अस्त्रों-शस्त्रों का उपयोग किया है उसी उपकरणों का विज्ञापन केन्द्र या राज्य सरकार सार्वजानिक तौर पर की है. मिशाल के तौर पर रेडियो बम, साईकिल बम, मोबाइल बम, कूड़ेदान बम, मानव बम आदि . क्या भारत के सुरक्षा के सुर्माभुपाली इससे आगे का नही सोंचते की आतंकवादी किन-किन अस्त्रों-शस्त्रों का इस्त्तेमाल कर सकती जिसका विज्ञापन आम-आवाम तक पहुंचाए ताकि भारत की जनता एलर्ट रहे. लेकिन ऐसा नही हो पता. आख़िर क्यों?
मैं सुरक्षा की व्यवस्था को देखता हूँ तो हँसी ही आती है - आप ट्रेनों में देखे तो सुरक्षा कर्मी पुरे ट्रेन का चक्कर लगा-लेते है फिर भी उन्हें कुछ नही मिल पतासिनेमा घरों में देखे तो वंहा भी इन्हे कुछ नही मिल पता, रोज ये लोग चेक करते है फिर भी इन्हे सुराग तक नही मिल पाता और हादसा हो जाता है
कभी भी ये लोग ट्रेनों में चढे यात्रियों का बैग, झोला, बेद्दिंग्स, सूटकेश आदि को खोलवाकर चेक नही करते अगर ये लोग किसी का चेक करते भी है तो वह है सब्जीवाली, भिखमंगा, गरीब-गुरबा का जिससे इन्हे आमदनी होती हैवही हाल है गाडीवाले का गाड़ी को स्कान्नेर से सिर्फ़ स्कैन कर लेते है कभी भी ये लोग तो सिट को खोल्वाते है और ही डिक्की को । इन्हे इस तरह से ट्रेनों, बस अड्डा, हवाई अड्डा, समुंदरी अड्डा, सीमा रेखा को चेक करना होगा जिससे अवाम में दहसत हो ही साथ-साथ असामाजिक तत्वा भी घबडा जाए की कभी भी पकड़े जा सकते है।
बॉर्डर क्षेत्र में इन्हे सख्ती से चेकिंग करनी होगी चाहे वह किसी भी तबके के लोग होंइन्हें यह दहसत फैलाना होगा की बॉर्डर के अंदर गए तो हम मारे जायेंगेट्रेनों में भी इन्हे यही रूप धारण करने होंगे, समुंदरी मार्ग में भी चौकस रहना होगा, हवाई मार्ग को भी सख्ती से और गहन चेक करना होगासुरक्षा व्यवस्था करनेवाले को मिलो दूर की बात सोंचनी होगी और नए तरकीब भीघर के अन्दर चेक्किंग करने से उतना लाभ नहीहमें यह तय करना होगा की इन्हे हम घर के अन्दर घुसने ही ना देइसके लिए हमें नए-नए तरकीब सोंचने की आवश्यकता हैहम हथियार से मजबूत है हीअगर जरूरत है तो नए सोंच की और नए तरकीब की

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