Saturday, January 3, 2009

देश पर भारी दो पुजारी

नेपाल के पशुपतिनाथ मन्दिर से अगर हिंदू पुजारी को नेपाल सरकार हटा ही दिया तो इसमे हिंदू वर्ग को कैसा खतरा? क्या वही दो पुजारी हिंदू धर्म के आधार हैं? क्या उनके हटाने से हिन्दुओं के अस्तित्वा पर ही संकट खड़ा हो गया? भला हम यह क्यों भूलने लगे की नेपाल एक हिंदू राष्ट्र हैहिंदुत्वा की कंही ज्यादा चिंता नेपाल को होनी चाहिए की भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश कोचर्च के कुछ पादरियों को खदेड़ कर या पशुपतिनाथ मन्दिर के दो पुजारियों के नाम पर हिंदुत्वा की यह घिनौनी राजनीत सही नही है
बीजेपी के तथाकथित अध्यक्ष मीडिया के समक्ष कैसी चिंता व्यक्त कीक्या बीजेपी के पास कोई मुद्दा नही? क्या मीडिया के पास कोई मुद्दा नही? क्या हिंदुत्वा पर ही बीजेपी की राजनीत टिकी हुई है अगर ऐसा है तो राजनाथ जी को राजनीत करने से अच्छा है की वो किसी घराने का पुजारी बनेनेपाल को हिंदुत्वा का ख्याल है और रहेगानेपाल के दो भारतीये पुजारियों पर चिंता व्यक्त करने से उनका निज स्वार्थ पुरा हो सकता है की पुरे हिंदुत्वा को
नेपाल सरकार को यह हक़ है की वो अपने ही देश के पंडितों से पशुपतिनाथ मन्दिर में पूजा कराये। मै राजनाथ जी से पूछना चाहूँगा की उनके घर में अगर नेपाली पुजारी पूजा कराये तो उन्हें कैसा लगेगा ।
पूंछ में चार दिनों से लगातार मुठभेड़ हो रहा है लेकिन इस मुद्दे पर कुछ नही बोल रहे हैं। यही देश का दुभाग्य है।

7 comments:

PD said...

बिलकुल सही लिखा है आपने.. वैसे मैं ना तो भगवान को मानता हूं और ना ही हिन्दू धर्म को.. मगर लाल सलामी देने वालों में से भी नहीं आता हूं.. सो मेरा तो यही मानना है कि नेपाल में अभी जो चल रहा है उससे कम से कम हिन्दू धर्म को कुछ मिलने वाला तो नहीं है..

ये कमें वेरीफिकेशन हटा लें तो बढ़िया रहेगा.. कमेंट करने में दिक्कत होती है..

Pragati Mehta said...

Bilkul sahi kaha apne janab.....

AWADHESH KUMAR said...

Such happening event of Nepal is really unprecedented in it self. Nevertheless, government of there should not forget that most people of both of the countries are socially, culturally and sentimentally attached very much. This thing ought to be respected. There are impending constraint on both side. Maoist should never punch of those nerve. Otherwise, consequence can be havoc. One should live in harmony, coherence. Even, people of Nepal are stunned and shocked. Instead of changing of priest, government of there should consolidate of system of democratic set up. B. J. P or Rajnath Singh has voiced the concern of majority of people of India. Generation after generation have bowed their heads before the leading steps of this temple. I think that one should come out to protect ones having identity and starkly our religious indentity is certainly attached to the affairs of Pashupatinath temple. One should never be lame duck.One thing ought to made clear sternly to government of Nepal not to disturb fundamental continuing ethos, rituals and cultural segment prevailing at there. Otherwise government of India might reciprocate equally under mounting pressure here as well.

kumar Dheeraj said...

Bilkul sach soch hai Apki. nepal me pujari ka jo vivad ban raha hai usme hindu ko to sochana hi nahi chahiye kyoki hindu ko khatra nepal se nahi balki hindutava ke dhong rachane wale se hai

kumar Dheeraj said...

सुरेन्द जी बात समझ में नही आई कि अपने ब्लाग का नाम अवारा विहार क्यो रखा है । हम अवारा हो सकते है तुम अवारा हो सकते हो लेकिन विहार कैसे अवारा हो सकता है । मुझे समझ में नही आता कि बुध्द की धरती अवारा कैसे हो सकती है अशोक की कमॆस्थली कैसे अवारा हो सकती है । देश के पहले राष्टपति की जमीन कैसे अवारा हो सकती है । कुंवर सिंह जैसे वीर सपूत की भूमि कैसे अवारा हो सकती है । समाजवाद की जननी कैस अवारा हो सकती है । हम अवारा हो सकते है तुम अवारा हो सकते हो ।

अमिताभ भूषण"अनहद" said...

बहुत अच्छा लिखा है आप ने ,सवाल भी सामायिक है .

khabarchi said...

ये आवारागी की बानगी है धीरज भाई, जिसने बिहार को ही आवारा बना दिया उससे कुछ अच्छी बात की उम्मीद कैसे की जा सकती है.अब भला अपने सुरेंद्र भाई को कौन बताये कि बात दो पुजारियों की नहीं बल्कि व्यवस्था की है.अफीम से भी ज्यादा खतरनाक माने जाने वाले कम्युनिज्म के नशे में चुर एक व्यक्ति सदियों से चली आ रही भारत-नेपाल दोस्ती को छिन्न-भिन्न करने की कोशिशों में लगा है, लेकिन निहायत छोटी सोंच वाले पुजारियों को ही लेकर बैठे हैं. बडे गर्व से किसी ने कहा है कि वे भगवान को नहीं मानते. जरा उनसे पूछिये क्या किसी मुस्लिम या इसाई को देखा है जो खुदा या गॉड को नहीं नामता. हिन्दू धर्म में पैदा होने के कारण उन्हें कई स्वतंत्रतायें हासिल हुईं हैं तो उसका सम्मान करना सिखना चाहिये.
विनायक