Thursday, February 12, 2009

दफ्तरों के काम-काज में देरी क्यों?

अंग्रेज भारत छोड़ गए परन्तु वो अपना मूल मंत्र भारतवासियों को दे गए। unake "फुट डालो राज करो" kee nitee के bawjood भारत में आज भी कई इमानदार प्रशासक है ,जो चाहते है की दफ्तरों में pardarshita से काम हो। taki आम जनता त्रस्त न हो सके। लेकिन दफ्तरों के बाबु लोग एक ही दिन में चाहते है की खरबपति बन जाए। बाबु लोग देखते है की नेतागण झूठ-सांच कर अमीर बन रहे है तो हम क्यों पीछे रहे। किंतु इन्हे ये पता नही की इनके आलाकमान एक ईमानदार ऑफिसर है।
मैंने अपने कार्यों के दौरान देखा है की आर्डर कर दिया गया है अब काम तो दफ्तरों के बाबु को ही करना है लेकिन बाबु को तो आदत है की बगैर पैसा लिए फाइल आगे बधायेंगें नही इसलिए ऐसा नुस्खा निकालों की साहब भी भौचक हो जाए और मेरा भी काम निकल आए। साहब की डांट भी बाबु को लगती है किंतु बाबु तो थेथेर हैं वो अब साहब को ही धमका देते है की साहब thik से और समझ भुझ कर काम कीजिए वरना इल्जाम ग़लत होगा। इसके वाबजूद अधिकारी चाहते है की काम करो, पर बाबु काम होने नही देते। अब आप ही बताये की अधिकारी कैसे काम करे। एक इमानदार अधिकारी को धमकाया जाता है इसके वाबजूद अपनी जान की परवाह किए वगैर वो एक कुशल प्रशासक के रूप में काम करना चाहता है फिर भी उसे सफलता नही मिल पाती यह देश के लिए दुर्भाग्य है।
मेरी अपनी सोंच है की आम अवाम को जागरूक होना होगा तभी देश विकाश की ओर आगे बढेगा। जागो-जागो-जागो ....................कब जागोगे जब सब कुछ तुम्हारा लुट जाएगा तब?

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