Tuesday, February 10, 2009

मीटिंग, सीटिंग, इटिंग = दिल्ली

बहादुर साह ज़फर के बाद भारत की तस्वीर ऐसी बनी की कुछ लोग शासन- प्रशासन में व्यस्त रहे तो कुछ लोग आज़ादी का आनंद लेने में मशगुल । चारो ओर मीटिंग, सीटिंग और इटिंग होने लगा। यही परम्परा देश के कोने-कोने में होने लगी। इन तीन शब्दों में एक शब्द अधुरा था वह है "मूविंग" । अगर मूविंग होती तो सायद देश की इस्थिति कुछ और होती तब सायद न तो इतनी भ्रष्टाचार होती और न ही इतने नेतागण। उदाहरण स्वरुप देखें तो चुनाओ के समय ही भारत के प्रधान मंत्री क्षेत्र वार प्रचार-प्रसार के लिए भ्रमण करते है बाकि ५ वर्षों तक मीटिंग, सीटिंग, इटिंग होती है जिसे हम सभी दिल्ली कहते हैं।

4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

अच्छी पोस्ट लिखी है।

A Priydarshi said...

sir, kya khoob kahi! meeting,sitting, eating karke na sirf NETA janta ke saath dhokha karte hai balki MOUKA MILNE PER "BUDHUJIVI'' janta bhi meeting sitting or eating karne me pichhe nahi rehti!

raja said...

kam shabdo men kya khub kahi aapne bhai

raja said...

kam shabdo men kya khub kahi aapne bhai