Saturday, September 4, 2010

मिले सुर हमारा-तुम्हारा...............

मिस्टर नितीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार आज बिहार के सिपाहियों के जान-माल की रक्षा करने में असमर्थ दिखाई दे रहे है। शायद उन्हें यह पता नहीं था की एक दिन ऐसा भी आयेगा। बिहार में बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी, अत्याचार , नक्सलबाद जैसे समस्याओं को लेकर मीडिया में न आना ही ऐसे परिणामों को दर्शाती है। आज बिहार में भुखमरी, अत्याचार, लूट-खसोट दिन-दहारे हो रहा पर मीडिया खामोश !
नितीश कुमार ने ५ वर्षों में अगर कोई काम किया है तो वह है "बिहार की मीडिया को अपंग" बनाना। विज्ञापन के नाम पर सबको धमकाया-हर्काया यंहा तक की मीडिया के मालिकों को भी अपने इशारों पर नचाया भला पैसा भी क्या चीज़ है।
मीडिया मालिकों और संपादक भी अपने सहकर्मियों को सीधा-सीधा निर्देश दिया की नितीश चालीसा ही लिखो। भुखमरी, अत्याचार, लूट-खसोट, भ्रष्टाचार और नक्सल जैसे ज्वलंत समस्या दबती चली गई और अन्तः इसका परिणाम लूकस टेटे की मौत । दूसरी ओर अभय यादव की पत्नी का बयान "अगर नितीश ने सुहाग नहीं बचाया तो कर लेंगे आत्महत्या" । अभी तीन बंधक की जान खतरे में है। समय बीतता जा रहा और मौत करीब आते जा रही है। ऐसे में बिहार वासियों के और बिहार के मीडिया के लिए नितीश चालीसा पढना यही दर्शाता है की -मिले सुर हमारा-तुम्हारा और जेब भरे तुम्हारा और हमारा।

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