मन में अगर मगर कुछ भी है तो बिना रुके, बिना झिझके कभी भी माहौल को देखते हुए अपनी बात, जजबात कहने से अपने को मत रोकिये जो भी है मन निकल दीजिए दोस्तों के सामने क्युकी दोस्त ही है जो आपके अच्छे बुरे सरे बातों को सुनकर भी बुरा नहीं मानेगा। जब भी कुछ कहेगा भलाई के लिए ही, कुछ एक की बात छोड़ दीजिए जो केवल कीच कीच करते हैं दोस्तों से भी।
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