Thursday, May 6, 2010

संसद में अनंत जैसा नेता

लालू और अनंत कुमार का वाक्य युध्ध संसद में देखने और सुनने लायक तो नहीं था किन्तु भारत देश के ५४५ लोग जो भारत की तकदीर लिखते है वो इस तांडव में कुछ हंसते तो कुछ लड़ते दिखे। यह बात भी बिलकुल सही में कहा गया की लालू न तो देश के बारे में सोंचते और न ही बिहार के तर्रक्की । लालू को अगर "देशद्रोह" कहा गया तो इसमे क्या जुल्म हुआ।

लालू के राज्य-पाट में जितना अनियमितता और घोटाले का पर्दाफास हुआ क्या सिध्ध नहीं करता की देशद्रोह वाकई में वो है। लालू जातीय आधार की बात करते है तो वो बताये की कितने यदुबंसी को उंच्या शिक्षा दिलवाया कितने को विधायक और संसद का मार्ग दिखलाया अगर वो दिखलाये भी तो अपने सगे-सम्बन्धी को ही। आम यदुबंशी तो आज भी गाँव में दूध बांटने का काम ही कर रहे है । देश की जनता ने उन्हें संसद में भेजकर बहुत बड़ा गुनाह किया । देश की जनता को उनसे हिसाब-किताब पहले लेना चाहिए और साथ में यह भी पूछना चाहिए की उन्होंने भारत देश के लिए अब तक क्या किया?

संसद में वाकई अनंत कुमार जैसे कद्दावर नेता की आवश्यकता है जो लालू जैसे नेता को खुलेआम "देशद्रोह" कहने का जिगर रखता हो। अनंत कुमार जी आपको कोटिशः बधाई ।

2 comments:

दिवाकर मणि said...

बिल्कुल सही कहा महोदय, संसद में अनंत कुमार जैसे राजनेताओं की महती आवश्यकता है, जो लालू-मुलायम जैसे वोटबैंकपरस्त राजनेताओं को धूल चटा सके..

राज भाटिय़ा said...

भईया सच कडबा होता है, लेकिन सच तो सच ही होता है... अब जनता को चाहिये इन्हे आईने मै इन के असली चरित्र की फ़ोटो भी इन्हे दिखा दे