Saturday, July 17, 2010

बिहार विधान सभा चुनाव नजदीक

बिहार विधान सभा चुनाव को लेकर बिहार ही नहीं अपितु पुरे देश की जनता का नज़र बिहार पर है। एक ओर लालू एवं पासवान बिहार में डेरा डाले हुए है तो वंही कांग्रेस भी इस आस में है कैसे बिहार में सेंध मारा जाये? बिहार में जातीय आधार को नाकारा नहीं जा सकता । बिहार का चुनाव जातीय आधार पर अब तक अवस्य होता आया है और ऐसा लगता है ये जातीय परम्परा सायद बिहार से कभी ख़त्म भी नहीं होगा ।
वर्तमान मुख्यमंत्री नितीश जी जात से कुर्मी है तो कुर्मी वोटको वो बटोरने में सफल है साथ -साथ तात्मा, नोनिया, कोयरी, मलाह आदि जात पर पाकर बना सकते वंही सवर्ण में भूमिहार , ब्रह्मण और कायस्थ का वोट भी बटोरने में सक्षम हो सकते ।
दूसरी ओर लालू जी अपने यादव वोट को चमोट कर पकडे हुए है। इनके साथ पासवान जी भी अपने पासवान वोट को टस-से-मसनहीं होने देंगे। और इन दोनों समीकरण के साथ सवर्ण वोट में राजपूत का वोट भी इन्ही के साथ होगा। राजपूत वोट का बिछुरने का एक मात्र कारण है नितीश का भूमिहार वर्ग को तरजीह देना। अब अकेले नरेन्द्र सिंह और आनंद मोहन राजपूत का वोट नितीश को नहीं दिला सकते । नरेन्द्र सिंह की छवि अपने बेटे के आत्म हत्या के बाद बिगड़ी तो आनंद मोहन की छवि एक क्रिमनल के तौड़ पर जाना जाता है।
कांग्रेस बिहार में सेंध का प्रयास कर रही लेकिन कांग्रेस के जो असली वोट बैंक है वो ब्रह्मण और भूमिहार। ये दोनों अभी नितीश के साथ चिपके हुए है। ऐसे में कांग्रेस को एक मात्र सहारा है मुस्लिम वोट का। माने तो मुस्लिम वोट तो सबको चाहिए । मुस्लिम भी इस बार दुबिधा में है । इसलिए मेरा मानना है की मुस्लिम वोट इस बार बतेगी ऐसे में नितीश का क्या होगा यह कहना बड़ा मुश्किल लग रहा है। भा जा पा का वोट बैंक है कायस्थ और वैश्य। कायस्थ तो मीठी जात है इसे जो चाहे भुना ले लेकिन वैश्य तो बनिया है इसे जब तक नफा-नुकसान का समझ नहीं आएगा तब-तक इधर-उधर डोलता रहेगा। ऐसे में हमें लगता है नितीश अलग-थलग पद जायेंगे और कोई तीसरा बाज़ी मार ले जायेगा ।

3 comments:

Jandunia said...

शानदार पोस्ट

राज भाटिय़ा said...

जिन्हे आजादी नही भाती वो फ़िर से लालू को ही वोट देगे

Akshitaa (Pakhi) said...

सोचने वाली बात हो गई....
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'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.