Thursday, July 22, 2010

और यूँ बन गए मुरली हीरो ...

आज २२.०७.२०१० दोपहर उपरांत भारत - श्री लंका का क्रिकेट मैच किसी चैनल पर मैं देख रहा था हलाकि मैच देखने के ख्याल से नहीं देख रहा था इसी कड़ी में मै समाचार भी देख रहा था। समाचार से ज्ञात हुआ की श्री लंका के मुरली का ८०० सौ वां विकेट का इंतज़ार है। मैं कई बार मैच के चैनल को खोल-खोल कर देख रहा था पर मुरली का ८०० सौ वां विकेट मिल ही नहीं रहा था दर्शक दीर्घा में बैठे लोग को भी मैं देख रहा था उनकी आँखे भी उतनी ही उत्सुकता से मुरली पर टिकी थी जीतनी पूरी दुनिया की।
भारत का नौवां विकेट रन आउट हुआ मुरली ने ताली बजाई अपने टीम के लिए। मुरली के चेहरे पर मुस्कान भी दिखी पर लोगो की ओरजब कैमरा गया तो लोगो में मुरली के लिए एक अलग जगह बना राखी थी इसलिए ख़ुशी तो थी पर एक कशिश जरूर थी की मुरली को एक और विकेट मिले जो ८०० सौ वां था। ओवर पर ओवर होता रहा पर मुरली जस का तस नज़र आते रहे। हाँ उनके परिवार के लोगो में एक ओर चहरे पर उदास तो दूसरी एक झलक मुरली को बेताज बादशाह बनने की जरूर थी पर ये हो नहीं रहा था। दर्शक दीर्घा में बैठे तमाम दर्शक चाहे वो बूढ़े हो या बच्चे सब-के सब मुरली के लिए एक तरह से प्रार्थना ही कर रहे थे।
मैंने सोंचा की मुरली ने तो ७९९ का एक स्कोर यानि विकेट पा ही लिया है जो सायद याद करने योग्य है। मै रह-रह कर चैनल बदल लिया करता था सिर्फ इसलिए नहीं की मेरी धरकन तेज हो रही थी या मैं ब्याकुल था मुरली के ८०० विकेट पाने के लिए। मैं तो सिर्फ खेल भावना से क्रिकेट चैनल को देख रहा था। मैं भारत के १.५ करोड़ जनता की तरह पागल नहीं हूँ की अपना सारा काम-काज छोड़ क्रिकेट मैच देखू। हाँ भारत का रहने वाला हूँ भारत का गुण-गान गाता हूँ। आज पता नहीं मुरली जैसे गेंदबाज़ को देख मुझे लगा की इनके ८०० वां विकेट के लिए न जाने कितने लोग आँख गराए बैठे है सायद उनके मन में खेल की भावना हो। न की पागलपन। जैसा की भारत के लोग पागल है किसी एक - दो नाम के पीछे ।
अन्तः मैंने जब चैनल बदला तो मुरली ही गेंद फेंक रहे थे मैंने कहा "जय बाबा गरीब नवाज़ " ओर मुरली को विक्केट मिल गया । सायद मेरे साथ ऐसे करोडो लोग होंगे जो खेल की भावना से मुरली को दुआ दे रहे होंगे। मुरली के ८०० वां विकेट लेने में करोडो लोगों की दुआ काम आई जो खेल भावना से जुडी थी।

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