Wednesday, June 2, 2010

"कुत्ता भूके हज़ार हांथी चले बाज़ार"

दीदी ने यह साबित कर दिखाया की "कुत्ता भूके हज़ार हांथी चले बाज़ार "। बंगाल की जनता ने दीदी को भाड़ी मतों से जीत दिलाकर यह साबित कर दिया की मीडिया सिर्फ भुकता है, तमाम तरह के हथकंडो को उपयोग कर दीदी के तेवर को कम करना चाहा पर दीदी के तेवर ने बंगाल में एक नई क्रांति ला खड़ा कर दी है। अब मीडिया के रूख भी दीदी के ओर झुकते नज़र आ रही।
अब मीडिया यह कह रही की दीदी के पास बंगाल की जनता के लिए ऐसी कौन सी रूप-रेखा तैयार है जिससे बंगाल की तस्बीर बदली जा सकती? दीदी सायद अपने तावर-तोड़ तेवर से फिर एक बार मीडिया को जवाब दे !
वर्तमान समय में मीडिया और नेताओ का एक बड़ा हुजूम है जिनका अब सिर्फ यही काम रह गया है की अलूल-जलूल, बेतुका बात, अपनी जुबान को चमकाना साथ में चैनल का टी आर पी बढ़ाना रह गया है। कई ऐसे नेता है जो आपको कंही न कंही छपते या चैनल पर नित्य दिन दीखते रहेंगे । दरअसल ये नेता नहीं पार्टी के प्रवक्ता है जो नेता बनते है। ये जनता के बीच नहीं जाते ये तो दरअसल में पार्टी के गुलाम है इन्हें वही कहना है जो पार्टी कहती है। लेकिन मीडिया वाले इन्हें ही नेता बनाना चाहती क्योंकि मीडिया वाले को सही नेता तावर-तोड़ जवाब देती और नेता इनसे जल्दी मिलते भी नहीं।
आपको याद होगा जब लालू बिहार का कमान संभाल रहे थे तो मीडिया ने उनका जोरदार स्वागत कर नित्य दिन फोटो और खबरों का भरमार कर दिया था । जब मीडियाकर्मी से मैंने पुछा की भाई बताओ तुम रोज लालू की तस्वीर और खबरे क्यों छापते हो तो उनका जवाव होता की जनता पसंद करती है। वही लालू जी जब दिल्ली का रूख किये तो मीडिया कर्मी को अपने दरवाजे के बाहर घंटो खड़ा करवाए रहते थे । मीडिया कर्मी को दुत्कारते थे तब जाकर मीडिया ने बंद किया रोज का छापना। कई पार्टी प्रवक्ता तो दिन-रात मीडिया को फ़ोन करते नज़र आयेंगे तो कभी उन्हें चाय - नास्ते पर बुलाएँगे । इन नेताओ का रोजमर्रा यही है और मीडिया कर्मी का भी।
कलक्टर साहब का दफ्तर हो या नेताओ का दफ्तर हर जगह मीडिया कर्मी आपको जरूर दिखेंगे। मीडिया कर्मी जब अपने दफ्तर जायेंगे तो फ़ोन से ही बात कर खबरों को तैयार करेंगे। खोज करना तो सायद ये लोग भूल गए।
बंगाल की जनता ने यह साबित कर दिखाया की जनता के बीच जो रहे वही मेरा नेता है चाहे मीडिया भूके हज़ार हम तो जायेंगे ही बाज़ार । रेल चाहे दिल्ली से चले या बंगाल से रेल तो चलेगी ही यह साबित कर दिखाया ममता बनर्जी ने।

6 comments:

आचार्य उदय said...

आईये जाने .... प्रतिभाएं ही ईश्वर हैं !
आचार्य जी

M VERMA said...

इन नेताओ का रोजमर्रा यही है और मीडिया कर्मी का भी।'
सही कहा है मीडिया भी तो भूखी है झूठी कहानियों की.
सुन्दर पोस्ट

Udan Tashtari said...
This comment has been removed by the author.
Udan Tashtari said...

सॉरी, दूसरी जगह का कमेन्ट पोस्ट हो गया...


इन नेताओं का क्या कहा जाये.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वैसे शीर्षक ये देते की कुत्ते भौंके हजार कुतिया चले बाजार तो ज्यादा मजेदार लगता

राज भाटिय़ा said...

माया को देखना चाहिये ममता की तरफ़ शायद कुछ शर्म आ जाये....