Wednesday, November 12, 2008

आतंकवाद

आतंकवाद सुनते-सुनते लोग थक चुके हैं। अब लोगो के दील-दीमागपर आतंकवाद मानो एक अन्कुरेब्ल बीमारी सा बन गया है जिसका इलाज न तो सरकार के पास है, न तो जनता के पास और न ही शिक्षक के पास। अगर इसका इलाज कुछ है तो वह है "प्रलय" ।
मैं जब छोटा था तो अपने घर में ज्यादा शरारत किया करता था मेरे शरारत से घर के लोग अक्सर कह दिया करते थे की तुम बहुत आतंक मचा रखे हो। पहले के ज़माने में आतंक से मतलब था दूसरों को कष्ट देना। आज इस विश्वीकरण के दौड़ में आतंकवाद का मतलब है "आजादी" ।
आजादी के लिए आतंक की जरुरत नही होती बल्कि युद्ध करना होता है। और युद्ध के लिए व्यापक स्तरपर एक ठोस नीति, युद्ध सामग्री व सैनिक की आवस्यकता होती है जो इन आतंकवादियों के पास नही होती। ये आज भी वही काम कर रहे हैं जो बचपन में अपने घर और मुहल्लों में किया करते थे। इन आतंकवादियों का मकसद मेरे समझ से दुसरे को कष्ट पहुचना मात्र है । अगर इन आतंकवादियों में दम होता या इनके मां ने बचपन में दूध पिलाया होता तो ये आम लोगों को कष्ट नही पहुचाते। ये आतंवादी सही में हिजरे हैं जो चुके से कहीं पर बम बिस्फोट कराकर आम जनजीवन को तबाह कर रहे है और नेता के आगोश में फल-फूल रहे हैं।
इस आतंकवाद का सामना हिंदुस्तान का एक-एक आदमी, एक-एक बच्चा, एक-एक महिलाएं खुलकर बिरोध करें तो इन हिजरे आतंकवादियों का खत्म तय है। अगर हम-आप सरकार के स्तर से खत्म की बात करेंगें तो सायद कभी भी ख़त्म नही होगा अगर होगा तो वह केवल "प्रलय" से.

3 comments:

Shuaib said...

लेकिन आजतक पता ही नही चला कि ये आतंकवाद कौन हैं ?
क्या ये आसमान से टपकते हैं या ज़मीन से उगते हैं ?
क्या ये इंसान हैं या हैवान हैं ?
इनका कोई अलग धर्म होता है या
फिर ये सभी धर्मों मे पाए जाते हैं ?

Unknown said...

antankwad na to asman se tapka hai na hin patal se nikla hai atank wad ko mitane ka eak hin tarika hai purara hindustan eak jut ho jaye sare log aapna aapna kam imandari se kare and atankwadio ke andar shichha ki lahar dauraye atnkwad khud hin khtam ho jayega

Unknown said...

antankwad na to asman se tapka hai na hin patal se nikla hai atank wad ko mitane ka eak hin tarika hai purara hindustan eak jut ho jaye sare log aapna aapna kam imandari se kare and atankwadio ke andar shichha ki lahar dauraye atnkwad khud hin khtam ho jayega