बहुत जल्दबाजी होगी यह कहना की मुंबई में आतंकवादियों द्वारा यह हाई वोल्टेज ड्रामा के पीछे क्या राज थी ? क्या यह पुरी अर्थव्यवस्था पर आतंक था या फिर आम जनमानस पर या फिर किसी राजनीत की कुटनितये तमाम सवालों का जवाब न तो सरकार के पास है न जनता के पास और न इन क्रूर आतंकवादियों के पास।
तीन चार दिनों से लगातार पुरे विश्व की जनता, सरकार, प्रशासन और मीडिया इस हाई वोल्टेज ड्रामा में जुटे थे की कब इन आतंकवादियों का सफाया हो। मगर इनमें से किसी ने यह जानने का प्रयास नही किया की इन आतंवादियों का मकसद क्या है , ये कैसे अपनी योजना को अंजाम देने में सफल हुए। आतंवादियों की योजना ने तमाम सुरक्षा एजेंसियों व खुफिया तंत्र को धत्ता बताते हुए ताज, नरीमन हाउस, ओबेरॉय जैसे विश्व मानचित्र जगहों पर हथियारों का जखीरा बना कर आम जनजीवन के साथ-साथ सरकार व प्रशासन को झकझोर कर मौत की नींद सोया।
ये अलग बात है की हमारे कमांडो ने अपने जान की बाजी खेलकर आतंवादियों को दबोच डाला। ये वीर तुझे सलाम। किंतु सरकार, प्रशासन, सुरक्षा एजेन्सी व खुफिया तंत्र के लिए यह ड्रामा ही रहा नेता अपनी राजनीत की रोटी सेकते रहे, खुफिया तंत्र नींद में रहे, सुरक्षा एजेन्सी मंडराते रहे और मीडिया तंत्र अपना टी डी आर मजबूत कराने से पीछे नही हटे। कुल मिलकर यह ड्रामा किसी के हीत में नही था। अब देखिये आगे पाठकों को ये लोग क्या राज बताएँगे क्योंकि अभी एक आतंवादी जिन्दा है और वह कानून के कटघरे में है।
1 comment:
इंतजार हमें भी है कि देखें वह आतंकवादी क्या उगलता है। वैसे सब कुछ तो सामने है, उसमें उसके उगलने न उगलने से क्या फर्क पडता है, इतना तो एक बच्चा भी जानने लगा है कि हमारे देश के नेता ऐसे हों तो वहाँ ये परिस्थितियाँ बनेंगी ही।
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