
Thursday, November 4, 2010
केंद्र की सहायता बिना बिहार का विकाश बेईमानी
Saturday, October 30, 2010
वोट के मामले में बिहारी जनता खामोश
Sunday, October 3, 2010
लाइव कॉमनवेल्थ गेम्स २०१०
Thursday, September 16, 2010
विकास का यही तो फ़ायदा है
Sunday, September 12, 2010
भारत की आम जनता अगर बन्दूक उठा ले तो कोई गुनाह नहीं
Saturday, September 4, 2010
मिले सुर हमारा-तुम्हारा...............
Wednesday, August 25, 2010
दिल्ली मेट्रों दिल्ली की शान
Monday, August 23, 2010
दिल्ली की डी टी सी बस और सुबिधाये नदारत
Friday, August 6, 2010
प्रधान मंत्री के नाम खुला पत्र
Thursday, August 5, 2010
आखिर तेंदुलकर क्यों चुप?
Tuesday, August 3, 2010
५४५ सांसद धोखेबाज़ तो १.२५ करोड़ जनता नौटंकीबाज़
Friday, July 30, 2010
आत्मबल के धनी व संघर्षशील मिलाप डुग्गर नहीं रहे
मुझे याद है जब डुग्गर जी दिल्ली के प्रेस क्लब में आयोजित गोष्ठी " आतंकबाद और भ्रष्टाचार " पर अपना वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने कहा था की भ्रष्टाचार ही आतंकबाद का जननी है इसे शीघ्र रोकने का प्रयास भारत के प्रत्येक नागरिक और शिक्षण संस्थान को करना चाहिए। मैं उनकी बातों को अपने इस ब्लॉग के माध्यम से आगे बढ़ाते हुए भारत के तमाम नागरिक से अपील करता हूँ की वो स्वर्गीय मिलाप डुग्गर जी की आवाज को अपने जीवन के कड़ी में जोड़ कर आतंकबाद और भ्रष्टाचार के खिलाप आन्दोलन छेड़े । यही मिलाप के प्रति हमारी सच्ची श्रधांजलि होगी।
नोट : अधिक जानकारी के लिए www. iaseuniversity.org.in पढ़े ।
Thursday, July 22, 2010
और यूँ बन गए मुरली हीरो ...
Saturday, July 17, 2010
बिहार विधान सभा चुनाव नजदीक
Friday, July 16, 2010
बौखलाए नितीश
नितीश अब जो कुछ भी कर रहे वह बौखलाहट का सन्देश दे रही । स्वर्गीय दिग्विजय सिंह के मृत्यु पर भी इन्होने राजनीत करने से बाज नहीं आया। इनके विरोधी तो यंहा तक कह दिया की नितीश अहंकारी हो गए ।
नितीश कुमार के लिए अब बिहार विधान सभा का चुनाव आसान नहीं । चाणक्य कहे जाने वाले नितीश कुमार अब बहुत पीछे चले गए । कहा जाता है की जब-जब घमंड का रूप धारण करता है कई रावन का नाश होते जाता है । शायद अब नितीश कुमार इसी चिंता में है । हलाकि बिहार की बुध्धिजीवी जनता आज भी नितीश को चाह रही इसमे भूमिहार, कायस्थ यवम ब्रह्मण वर्ग है। हलाकि भूमिहार, कायस्थ और ब्रह्मण का वोट भी इन्हें प्रचुर मात्रामें मिलनेवाला नहीं है।
नितीश सही में बौखलाए हुए हैं सायद इस बार नितीश की पाली नहीं बिहार की जनता नकार भी सकती है इन्हें ??????
Friday, June 18, 2010
फांसी के फंदे में मुहब्बत
Thursday, June 10, 2010
कांग्रेस सरकार का एतेहासिक फैसला
Thursday, June 3, 2010
जिधर देखे खीर उधर गए फिर
Wednesday, June 2, 2010
"कुत्ता भूके हज़ार हांथी चले बाज़ार"
Thursday, May 27, 2010
नितीश जी का ब्लॉग
Sunday, May 16, 2010
ममता बनर्जी ने ठीक ही कहा यात्री जिम्मेवार.....
Friday, May 14, 2010
अगर भारत में हिटलर होता .........
Thursday, May 6, 2010
संसद में अनंत जैसा नेता
लालू और अनंत कुमार का वाक्य युध्ध संसद में देखने और सुनने लायक तो नहीं था किन्तु भारत देश के ५४५ लोग जो भारत की तकदीर लिखते है वो इस तांडव में कुछ हंसते तो कुछ लड़ते दिखे। यह बात भी बिलकुल सही में कहा गया की लालू न तो देश के बारे में सोंचते और न ही बिहार के तर्रक्की । लालू को अगर "देशद्रोह" कहा गया तो इसमे क्या जुल्म हुआ।
लालू के राज्य-पाट में जितना अनियमितता और घोटाले का पर्दाफास हुआ क्या सिध्ध नहीं करता की देशद्रोह वाकई में वो है। लालू जातीय आधार की बात करते है तो वो बताये की कितने यदुबंसी को उंच्या शिक्षा दिलवाया कितने को विधायक और संसद का मार्ग दिखलाया अगर वो दिखलाये भी तो अपने सगे-सम्बन्धी को ही। आम यदुबंशी तो आज भी गाँव में दूध बांटने का काम ही कर रहे है । देश की जनता ने उन्हें संसद में भेजकर बहुत बड़ा गुनाह किया । देश की जनता को उनसे हिसाब-किताब पहले लेना चाहिए और साथ में यह भी पूछना चाहिए की उन्होंने भारत देश के लिए अब तक क्या किया?
संसद में वाकई अनंत कुमार जैसे कद्दावर नेता की आवश्यकता है जो लालू जैसे नेता को खुलेआम "देशद्रोह" कहने का जिगर रखता हो। अनंत कुमार जी आपको कोटिशः बधाई ।
Friday, March 19, 2010
१९७७ के कुत्ते
Sunday, March 14, 2010
क्या ३३% महिला विधेयक से सभी वर्ग के महिला को लाभ होगा?
Friday, March 12, 2010
आनंद से भरा महिला विधेयक
पुरे देश पर भारी टिकरी (मुलायम, लालू यवम शरद )। आखिर ऐसी कौन सी मज़बूरी हो गई जिससे रूलिंग पार्टी या संसद को महिला विधेयक पास करने में इतना बिलम्ब हो रहा ? ३३% तो सभी वर्ग के लिए है इस बात को बुध्धिजीवी वर्ग इन तिकरियों को समझाने में असमर्थ क्यों है?
भा ज पा में भी अंतर्कलह , राजद भी राग अलाप रही उधर सपा भी चिल्ला रही वन्ही ज द यु में भी दो फार है नितीश कह रहे हम महिला आरक्षण के समर्थन में है तो शरद कह रहे है की हम संसद में प्राण दे देंगे । यह तो नाटकीय जाल है भाई। जनता को तो ये लोग पुर्णतः बेबकूफ ही समझ लिया है। ये लोग जान गए है की हम जो चाहेंगे वही जनता को करना होगा चाहे वो हंसकर करे या रोकर। मीडिया भी इसमें पुरजोर मज़ा ले रही।